Sunday, June 16, 2013

कैसे बढ़ायें लेखनी कला?

लेखनी कला का हमारे व्यक्तिगत जीवन पे शुरू से ही तालमेल रहा हैं. छुटपन में मास्टरजी लेख दिया करते थे लिखने को  और स्नातक आते आते ये अनिवार्य होता चला गया. खैर वो एक शैक्षणिक दौर था. आज लेखनी कला कॉपी-पेन से इतर बिल्कुल व्यावसायिक हो चुकी हैं. अच्छे लेखकों की माँग बढ़ी हैं. उन्हे बड़ी-बड़ी कंपिनियो में काम करने का सुवसर मिलता हैं. यानी की जो कला पहले आप स्कूल और कॉलेज में करते आ रहे थे अब वही आपके करियर के लिए एक मिल का पत्थर भी हो सकता हैं बशर्ते आप इसे गंभीरता से लें.

तो कैसे बढ़ाएँ लेखनी कला?

प्राथमतः लेखनी कोई गंभीर चीज़ नही की सुनके ही पसीने आ जाए. बेहद आसान हैं अगर आपमे सीखने की ललक, जिग्यासा, और धुन हो.

पेशे से में एक कॉंटेंट राइटर हूँ. मूल रूप से बोलूं तो एस ई ओ राइटर. विगत तीन साल के लेखनी अनुभव से बोलूं तो लेखनी कला के लिए सबसे ज़रूरी चीज़ हैं अभ्यास. आप इसे जितना करते जायें उतना ही अच्छा. जैसा की मेने पहले कहा, सीखने की ललक अभ्यास के साथ बेहद ज़रूरी हैं.

सर्वप्रथम आप कोई भी विषय चुनें और उसपे लिखना शुरू कर दें. विषय अगर रुचिगर हो तो और भी अच्छा ताकि आपको लिखने में मन लगा रहे. अगर कोई शिक्षक या फिर बड़े जिन्हे लेखनी का अनुभव हैं उन्हे अपनी रचना दिखायें. इससे वो लोग आपको आपकी शब्द संबंधित ग़लती बता सकते हैं और उन्हे दूर करके आप आगे प्रयास जारी रख सकते हैं.

मेरे विचार से एक अच्छा लेखक एक अच्छा पढ़ाकू भी होता हैं. मतलब, रीडिंग हमेशा करते रहें. अच्छी किताबें विशेषकर साहित्य की किताबें आपको काफ़ी फ़ायदा देगी.

तो फिर देर किस बात की..उठाईए कोपी-पेन और लिखनी की दुनिया में पहला कदम डालिए. या फिर अपने कंप्यूटर को लोग-आन करें और शुरू कीजिए लिखना.

धन्यवाद..

पवन कुमार
 

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